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नित्य पदार्थ किसे कहते हैं?

नित्य पदार्थ किसे कहते हैं?

कालत्रयसत्तावन्नित्यम् ॥१॥

जो सदा से है और सदा रहेगा, अर्थात् जो सब कालों में विद्यमान है वह नित्य कहाता है। जो आज हैं, कल नहीं-ऐसे ‘श्वोभावाः’ पदार्थ नित्य नहीं कहाते। जिसका आदि है उसका अन्त अवश्यम्भावी है, अतः जो अनादि है वही अनन्त होगा। जो काल की गति में आकार नाम-रूप आदि के परिवर्तन से भी अन्य संज्ञा को ग्रहण नहीं करता वह नित्य है। नित्य वस्तु अपनी सत्ता के लिए किसी दूसरे कारण की अपेक्षा नहीं रखती। किसी कारण से उत्पन्न पदार्थ कार्य होने के कारण नित्य नहीं हो सकता। इसलिए जो पदार्थ अनुत्पन्न, निरवयव एवं त्रिकालवर्ती है वही नित्य है। लोकलोकान्तर में जितने पदार्थ दृष्टिगोचर होते हैं, वे विद्यमान तो हैं किन्तु किसी-न-किसी का परिणाम हैं, अर्थात् कभी न कभी, कहीं न कहीं, किसी न किसी कारण से उत्पन्न हैं और जो वस्तु बनती है वह सावयव होने से विकारी एवं अनित्य होती है. इसीलिए जिस भावरूप पदार्थ का कोई कारण नहीं होता वह नित्य होता है।

(पुस्तक नाम : तत्त्वमसि – प्रथमोऽध्यायः, सूत्र 1, रचियता : स्वामी विद्यानन्द सरस्वती )